Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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क्या भूलूँ , क्या याद करूँ

 


क्या   भूलूँ ,  क्या  याद  करूँ

किसे कोसूँ, किससे फ़रियाद करूँ


सभी   दीखते   हैं   एक   से

किसे बुलबुल, किसे सैय्याद कहूँ


कभी  दम  लिया  न  कयामत

बीते  जीवन का, सफ़र याद करूँ


या  जिस  कूचे  में  छोड़ आया

अपना   दिल , उसे  याद  करूँ


मिज़ाजे  गिमानी का, खैर मनाऊँ 

ख़ुदा  , जो   तुमको  याद  करूँ

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