क्या भूलूँ , क्या याद करूँ
किसे कोसूँ, किससे फ़रियाद करूँ
सभी दीखते हैं एक से
किसे बुलबुल, किसे सैय्याद कहूँ
कभी दम लिया न कयामत
बीते जीवन का, सफ़र याद करूँ
या जिस कूचे में छोड़ आया
अपना दिल , उसे याद करूँ
मिज़ाजे गिमानी का, खैर मनाऊँ
ख़ुदा , जो तुमको याद करूँ
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