Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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क्या पता कब कयामत मेरे नाम आ जाये

 


क्या   पता   कब  कयामत  मेरे  नाम  आ  जाये

और  बीमार  दिल   को  बेदवा  आराम  आ  जाये


जमीं  से  आसमां  तक  इंतजार  का  आलम  कब  

उसका   मुल्क  छोड़  जाने  का  पैगाम  आ  जाये


यही  सोचकर  कभी  सब्र  करता, कभी  तड़पता  है

दिल, कहीं  जाहिल  के  साथ न मेरा नाम आ जाये


निगाहें-शौक  को  सरे-बज्म  बेहिजाब  न  कर, मुझे

डर  है, तुम पे हमारी चाहत का न इलजाम आ जाये


जिस रहबर से अपनी राह जुदा कर आया हूँ,कहीं दिल 

के  मिलने  की  उम्मीद में,उसी से न काम आ जाये



  1. सारी दुनिया में  2. बेशर्म  3. पथ प्रदर्शक

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