Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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लोग कहते मुझसे,क्या तेरा

 


लोग कहते मुझसे,क्या तेरा शोख-सितमगर है
किन शोले ने पाला इसे, यह तो गुलेतर है

 

खुदा का खौफ़ छोड़कर और किसी का डर
नहीं इसे, अगर है तो, खुद अपना डर है

 

मेरे जीने की दुआ माँगनेवाली अपने सीने पर
रखकर हाथ कहो, तेरे हाथ में क्यों खंज़र है

 

कल भी याद रहेगा, न भूलूँगा,उम्र भर कभी
बेताबी-ए दिल का, आज जो दर्दे-जिगर है

 

लौट गई ,जीने की तमन्ना आकर जिंदगी से
गमे-इश्क ने मेरे दिल को तोड़ा इस कदर है

 

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