Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं काला तो हूँ,आप जितना उतना नहीं

 

मैं काला तो हूँ,आप जितना उतना नहीं

झूठा  भी हूँआप  जितना उतना नहीं


हौसले  भी बुलंद  हैं मेरेआसमां  को

छू  लूँ,  आप जितना  उतना नहीं


मैं भी आस्तिक हूँमगर मूर्ति पूजन में

विश्वास आप  जितना  उतना नहीं


मौत,  मौत  हैमौत से  डरता मैं भी

मगर  डरते  आप  जितना उतना नहीं


सच है,हस्त जन्नत की बहारों में बंद है

मगर  सोचते आप  जितना उतना नहीं

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