Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं तो सो रहा था, दर्द ने आकर

 

मैं  तो  सो  रहा  था, दर्द  ने  आकर जगा दिया

जिस पर जान निस्सार था,उसी के हाथों ठगा गया


रात भर अपने हिज्र में मेरे दिल को जलाया,खुदा न 

करे दुश्मन के संग भी ऐसा हो जो मेरा सगा किया


कहते हैं अश्क अगर गम्माज1 हो तो कोई क्या करे

दिल  फ़िगारों2  के  साथ, बेकरारी  को  लगा दिया


जिंदगी  दूर  ही रही,मौत भी न पल्ले पड़ी,दिखाकर

अपना  जलवा, नजरों  के  इशारे  से  भगा  दिया


आबाद  किस  कदर  है, इलाही, जन्नत  की  राह

तुमने  आने -जाने  वालों  का  तांता  लगा  दिया



  1. चुगलखोर  2. प्रेमियों

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