माँ ही मेरा खुदा है , माँ ही भगवान है
माँ मिल जाये फिर से ,यही अरमान है
माँ ही मंदिर है, माँ ही पूजा है
माँ ही देवता है, माँ ही जहान है
माँ ही कावा है, माँ ही कैलाशिनी है
माँ की चरणों के नीचे पूरा आसमान है
माँ जो नहीं , तो दुनिया किस काम की
एक माँ के बिना यह दुनिया सुनसान है
माँ ही मेरी भूत है , भविष्यत ,वर्तमान है
माँ से अलग , नहीं और कोई पहचान है
माँ ही काली है,दुर्गा है , सरस्वती है, तीनों-
रूपों का एक रूप,यही माँ की पहचान है
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