Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मज़हब , भाषा की बात न कर

 

मज़हब , भाषा  की बात न कर

भाई , भाई को आघात  कर


जिंदगी  है  चार  दिनों  की

पाँचवें  दिन की बात न कर


कुछ   नहीं   संग   जायगा

धन- दौलत की  बात न कर


ऊपरवाले  से  कुछ  तो  डर

मानवता  पर  घात  न  कर


दुश्मनी    ही   बची    रहे

ऐसी  तो पैदा  हालात न कर

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