मेरे गम का फ़साना1 सुननेवाले ,मेरे वीराने से
कोसों दूर रहनेवाला जमाना, कल भी इसे दुहरायेगा
गम ओ वेदना की तमाशागाह बनी मेरे दिल की सैर
तुम्हारी हसरत- ए- शौक ओ तमन्ना से करवायेगा
मैं नहीं काफ़िर-ए-इश्क2,मगर उसकी जुस्तजू3से जलील
होकर मैंने कहा, क्या मुझे वेदना की भेंट चढ़ायेगा
बागे जहाँ के हर एक फ़ूल का अपना खुदा है,मेरा खुदा
कोई नहीं, मेरे गम्जा-ए-बेजा4 का नाज कौन उठायेगा
यहाँ सबों के अपने-अपने दुख हैं, मेरे दिल की तहों से
उड़े जो यादों के गुब्बारे, लौटाकर उन्हें कौन लायेगा
1.कहानी 2. इश्क का दुश्मन 3.तलाश 4.अच्छाई व बुराई
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