Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरे गम का फ़साना1 सुननेवाले

 

मेरे  गम  का  फ़साना1 सुननेवाले ,मेरे  वीराने  से

कोसों  दूर रहनेवाला जमाना, कल भी इसे दुहरायेगा


गम  ओ वेदना की तमाशागाह बनी मेरे दिल की सैर

तुम्हारी  हसरत- ए- शौक  ओ तमन्ना से करवायेगा


मैं नहीं काफ़िर-ए-इश्क2,मगर उसकी जुस्तजू3से जलील 

होकर  मैंने कहा, क्या  मुझे  वेदना की भेंट चढ़ायेगा


बागे जहाँ के हर एक फ़ूल का अपना खुदा है,मेरा खुदा

कोई  नहीं, मेरे गम्जा-ए-बेजा4 का नाज कौन उठायेगा


यहाँ सबों के अपने-अपने दुख हैं, मेरे दिल की तहों से

उड़े  जो  यादों के गुब्बारे, लौटाकर उन्हें कौन लायेगा



1.कहानी 2. इश्क का दुश्मन 3.तलाश 4.अच्छाई व बुराई

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