Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरे प्यार को इन्तिहां चाहिए

 

मेरे   प्यार    को  इन्तिहां   चाहिए

फ़ूल   एक   दरमियां   चाहिए

 

गम     की     दवा     बन    सके   जो

ऐसा    एक   रहनुमा  चाहिये

 

मुबारक  हो    जन्नत  ज़ाहिदों  को

मुझे  अश्कों का कहकहा चाहिये

 

जिसकी  याद मिटे, मुद्दतें गुज़रीं

उसके  होने  की  निशां  चाहिये

 

अपनी खामोशी को कर सकूँ बयां

मेरे   दर्द  को   जुबां   चाहिये

 

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