Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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न रहीम के , न राम

 

न रहीम के , न राम के
तुम आदमी , किस काम के

 

दर्दे - जहाँ की बात नहीं, बात
करते केवल, मय- ए- खाम1 के

 

बेशर्मी तुम्हारी तब हद हो जाती
जब चाटते तुम दर्द-ए-तहजाम2 के

 

तुमको हो न हो, हमको है अजीज
कब्रे निशान अपने नाम के

 

जहाँ-ए-गुलिस्तां मुबारक हो तुमको
बुलबुल बिना मेरे ये किस काम के



1.कच्ची शराब 2.मदिरा के पात्र की तलछटी

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