नजर मिलते ही जान और ईमान लिया
तू ही है मेरी रफ़ीके1 जिंदगी है, पहचान लिया
राहे-जिंदगी में आखिर तक कोई साथ नहीं
चलता,तूने चलकर साथ,मुझपर एहसान किया
मुद्दतों से तेरी लड़ाई, तेरे रकीबों से होती
आई , आज बीच में मुझे क्यों सान दिया
निगाहे-लुत्फ़ पर हजारों दुआएं पाने वाली
मुझसे दुश्मनी कर तूने अपना नुकसान किया
मैं गेसू ओ जुल्फ़ का फ़साना2 सुनते-सुनते
सो गया, जगाकर तूने क्यों परेशान किया
1.जीवन साथी 2. कहानी
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