Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नजर मिलते ही जान और ईमान लिया

 

नजर  मिलते  ही  जान  और  ईमान लिया

तू ही है मेरी रफ़ीके1 जिंदगी है, पहचान लिया


राहे-जिंदगी  में  आखिर  तक कोई साथ नहीं 

चलता,तूने चलकर साथ,मुझपर एहसान किया


मुद्दतों  से  तेरी  लड़ाई, तेरे  रकीबों से होती

आई , आज  बीच  में  मुझे क्यों सान दिया


निगाहे-लुत्फ़  पर  हजारों  दुआएं  पाने वाली

मुझसे दुश्मनी कर तूने अपना नुकसान किया


मैं  गेसू  ओ जुल्फ़ का फ़साना2 सुनते-सुनते

सो  गया, जगाकर  तूने  क्यों परेशान किया


1.जीवन साथी  2. कहानी

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