Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पहले दर्द , फ़िर देते हो दवा

 

पहले दर्द , फ़िर देते हो दवा
क्यों शोले को करते हो हवा
खता मेरी नजरों ने की है
दिल को क्यों देते हो सजा
काम मर्दों का कर सके नहीं
हमीं को कहते हो बेवफ़ा
दुश्मनी मेरे दिल से रखो
नजरों से क्यों करते हो गिला
बेड़ियाँ दिल को पिन्हाकर
पाँव को करते हो रिहा

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