Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रात तुम्हारी, दिन तुम्हारा, जवानी तुम्हारी

 


रात  तुम्हारी, दिन तुम्हारा, जवानी  तुम्हारी

दुनिया  तुम्हारी, मैं  तुम्हारा, कहानी तुम्हारी


हाय  क्या  चीज  खुदा  ने  तुमको  बनाया

दुनिया  की  हर  चीज पर, निशानी तुम्हारी


तुम  चलो तो  संग  जमाना चले, रुको

तो  जमाना  रुके, क्या  हुक्म- रानी तुम्हारी


चाँद,  सूरज,  तारे,  जमीं  ;सभी  हैं  परेशां

पूछ  रहे, क्या  सूरत है  आसमानी  तुम्हारी


बदन में सर  से पाँव तक चटखती हैं कलियाँ

कत्ल करता दिल को,नाज़ो-सरगिरानी तुम्हारी


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