शबे-वस्ल1 की खुमार अभी बाकी है
उसकी सूरत पर होना एतवार अभी बाकी है
उजाड़ ले गई, दुनिया की चमन को एक हवा का
झोंका, तुम कहते आने को बहार अभी बाकी है
गिन-गिन कर रख दिया, सभी अश्शाक2को अपनी
तलवार पर,जब कि तुम्हारा गुनहगार अभी बाकी है
तुम लाख कहो, ना-ना, तुम्हारी झुकी आँखें कहतीं
तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार अभी बाकी है
दुनिया के बाज़ार में खुद को न बेकस3 समझो
तुम , तुम्हारे हुस्न का खरीददार अभी बाकी है
1. प्रिय मिलन की रात 2. मित्रगण 3. विवश
डा० श्रीमती तारा सिंह
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