साकी ,यूँ ही नहीं,तुझको तेरा गुमान है
तू जवान है, तेरे कदमों में आसमान है
तेरे बदन की गर्मी से जिंदा है आफ़ताब
और आफ़ताब1 के जर्रे2 में जान है
यक मैं ही नहीं,कर तेरे जल्बे का आलम--
का ख़याल,मैकदा3 भी रहता परेशान है
जाने और किस-किस का लहू पानी हुआ
होगा, सोचकर वक्त भी रहता परेशान है
चमन की सैर से नफ़रत है,तेरे दिल को
यह मैं नहीं कहता,तेरा खुद का बयान है
1. सूरज 2. कण-कण 3.शराबखाना
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