साकिया उठा दे परदा आज तू रात के राज से
बता दे, खराबात-नशी1 पुजारी कैसे बना आज से
अफ़सानागो2 को याद नहीं तेरी खत्में दास्तां
जमाना परेशां है तेरे फ़साने- ए- दराज3 से
तमाम बज़्म घायल है,तेरी शोख नजर के तीर से
तू कर दे इलाज आज, अपने दिले-साज से
हजरते-जाहिद भी पढ़ेंगे नावाज़ आकर यहाँ
शराबखाना , मस्जिद बन जायेगा आज से
उश्शाक4को मिलती है अबद5,तेरे ओठों के पैमाने में
तुझको डर कैसा , किसी बन्दाबाज6 से
1.शराबी 2. सुननेवालो 3. लम्बी कहानी 4.आशिक
5. लम्बी उम्र 6. प्रेमी
डा० श्रीमती तारा सिंह
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