Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सारे जहां की बेकरारी-ए-दिल तुझी से है

 

सारे जहां की बेकरारी-ए-दिल तुझी से है
साकी ! दुनिया में,तू यूँ ही बदनाम नहीं है

 

महफ़िल से उठाना था,उठा देती,तेरा यह
पूछना गलत है, आपको कोई काम नहीं है

 

बारी-बारी से तूने सबको ज़ाम पिलाया,मेरी
बारी में कहा,बाकी अब और ज़ाम नहीं है

 

सच-सच बतलाना,बदल-बदलकर आने वाले
सभी तेरे आशिक हैं, कोई गुलाम नहीं है

 

वस्ल1 में बेखुदी2 तेरी हया3 से छाई है,तेरी
हर सितम पर सब्र करना,मेरा काम नहीं है




1. मिलन 2. बेहोशी 3. शर्म


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