शहर में आकर, अपना गाँव भूल गये
मम्मी को अपनाया, माँ भूल गये
दादा-दादी को भूल गये,नदिया किनारे
पीपल की शीतल छाँव भूल गये
पावँ–पावँ कर जिस आँगन में चलना
सीखा, अपना वह ठाँव भूल गये
हेलो- हाय के चक्कर में, माता-पिता
गुरुजनों का, छूना पावँ भूल गये
मेले में भटका हो कोई,तो ढूँढ़ भी लाये
हम तो स्वयं में भटककर,गाँव भूल गये
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