Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शामे – जिंदगी1 में तुम्हारे सिवा, मेरे

 

शामे जिंदगी1   में  तुम्हारे  सिवा,  मेरे

पास  और  किसी  चीज  की  कमी नहीं


दिले  दर्द के हंगामे पर मौकफ़ू2 है घर की

रौनक, उम्र-ए-तबीई3 की तमन्ना सही नहीं


लोग  सुनाते  हैं,तुम्हारी बेवफ़ाई के किस्से

दिले-आजार4 को  सुनकर  होता यकीं नहीं


शम-अ-ए-हयात5है जल रहा,आज भी तुम्हारे

आने  के  इंतजार  में, अब तक बुझी नहीं


वक्त  ने  किया  है मेरे साथ फ़रेब, वरना

मैं  तुमको  भूल  जाऊँ, होता  कभी  नहीं





1.बुढ़ापा  2. आधारित  3. लम्बी आयु      

4. दुखी दिल  5. जिंदगी का दीया

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