शामे—सफ़र है, संग न अपना ,न बेगाना है
जिंदगी का बोझ अकेले ही उठाना है
कदम दिल को कहे बगैर ,बाहर चला जाता है
लगता रफ़्तारे—सितम1 का ठोकर खाना है
न पूछिये हमसे आशना-ए-हाल , दिल को
थामूँ तो बताऊँ , उनका क्या फ़साना है
कौन कहता है अदम2में जाकर लिखते हैं लोग
दिले—हाल अपना, रश्मे—खत यहीं रह जाना है
न लेकर गया, न जायेगा यहाँ से कोई, मुल्क
माल , दौलत,हशमत3, सब यहीं छूट जाना है
जिस्मे—खाकी4 पानी का वह बूँद है, जिसे
दरिया में मिल एक दिन, फ़ना हो जाना है
1.लगातार विपत्ति 2.दूसरी दुनिया 3.बड़ाई
4.मिट्टी का शरीर
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