सुख के दिन गुजारे हैं, दुख के भी गुजर जायेंगे न मिली रोशनी तो, अंधेरे में ठहर जायेंगे दुनिया में अब तलक किसी को मुकम्मिल जहाँ नहीं मिला, हम तकदीर से भागकर किधर जायेंगे जो लिखा होगा पेशानी पर , वह होके रहेगा न छूटेगा उसका साथ, हम जिधर- जिधर जायेंगे जिंदगी है एक ख़्वाब तो हम नींद में जीये जायेंगे टूटेगी जब नींद, ख़्वाब खुद-ब-खुद बिखर जायेंगे चाँद-तारों को जमीं पर उतारने की बात क्यों करें हम उबेगा जब दिल,वे स्वयं टूट कर धरा पर उतर आयेंगे
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