Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ता उम्र कुछ ऐसे हालात साथ रहे मेरे

 

ता  उम्र  कुछ  ऐसे  हालात  साथ  रहे  मेरे

मैं   तेरा   न   हो  सका, तू  न  हुये  मेरे


दर्दे-दिल  पैदा  हुआ ,  दर्दे  जिगर  जा  रहा

तअस्सुफ़1 के  सिवा  और कुछ पास नहीं मेरे


अहले-आलम2  में  हूँ, जिन्दों  में  मुरदों  की

तरह, गुनाहों  की  गठरी  बड़ी  भारी  है  मेरे


जो   समझता  तेरे   दिल  की  जलन  को

पैमाना-ए-दिल खोलकर रख देता नहीं आगे तेरे


माना , मेरा  दिल  तेरा  घर  है, मगर  यह

मकान आबाद तब होता, जो तू साथ होते मेरे



  1. अफ़सोस  2. संसार के लोगों

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