Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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टके सेर बेच रहा ईमान है

 

टके   सेर  बेच रहा  ईमान  है

यह  आदमी   है  या  हैवान है


खाता  कसम,  पीता  शराब  है

बेचता   मौत   का  सामान  है


फ़ोड़ता   बम,  दहलाता  जिंदगी

डोलति धरती, हिलता आसमान है


दुष्कर  होती   जा  रही जिंदगी

मूक  बैठा  देख  रहा भगवान है


इन्सान मुक्त हो रही धरा,मुरदों से

भरता   जा   रहा   श्मशान  है

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