तस्वीर बदल लेने से तकदीर नहीं बदलती
दास्तां तो मिलती है, तकरीर नहीं मिलती
हम मरने को तो खड़े हैं ,मगर उस शोख
नजर के म्यान से शमशीर1 नहीं निकलती
अल्लाह की बताये राह पर चल रहा हूँ
रुकें कहाँ जमीं पर वह लकीर नहीं मिलती
मिट्टी के पैकर2 में बंद जिंदगी , क्यों मेरे
आईने के तस्वीर से तुम्हारी तस्वीर नहीं मिलती
जिसने सूरज की शुआओं3 को गिरफ़्तार किया
क्यों उसे एक कुफ़्र4के पाँव की जंजीर नहीं मिलती
1. तलवार 2. चेहरा 3. किरणों 4.पापी
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