Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरे दिये जख्मों के सहारे जी लूँगा

 


तेरे दिये   जख्मों   के   सहारे   जी  लूँगा

बात   निकलेगी   जब,  जुबां को  सी  लूँगा


दुआ   माँगूँगा   मरने   की, जब   न  होगी

कबूल  ,  जहर   जिंदगी   की    पी   लूँगा


दर्दमंदों  से  दूर  फ़िरने  वाले से वादा है मेरा

अपने  फ़िक्रे  फ़न  में  हिस्सा तुमको भी दूँगा


जिसकी  फ़ुरकत  ने  इश्क की काया बदल दी

दिल उसे पहले ही दे दिया,अब जान भी दे दूँगा

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