Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरी आँखों में मुझको, अपना घर नज़र आता है

 


तेरी आँखों में मुझको, अपना घर नज़र आता है
ना फ़ेरो मुँह,तुझमें मुझे अपना मुकद्दर1नज़र आता है

 

कभी कम न हुई, मेरी शबे-फ़ुरकत2 की स्याही3,अब
तो इश्क का आईना भी, पत्थर नज़र आता है

 

दिल चाहता है, गमे दुनिया से निकलकर भाग जाऊँ
मगर कहीं नहीं गुम्बदे-गरदू4 का दर नज़र आता है

 

गुलशने-हस्ती की जिंदगी मेरी, एक सूखी डाली है
जहाँ से जीवन मेरा,आलूदा-ए-गर्दे5सफ़र नज़र आता है

 

मुहब्बत पूजा है, इबादत है ख़ुदा की , इश्क की
इजहारे- फ़कीरी से मौत मुझे बेहतर नज़र आता है




1. तकदीर 2.विरह रात्रि 3. अंधकार 4. आकाश
5.सफ़र की धूल से सना

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