Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरी दुनिया से होकर बेकरार चले

 


तेरी दुनिया से होकर बेकरार चले
दूर बहुत दूर, हम उस पार चले

 

कैदे- हयात1 में जीने से जी भर गया
था, हम आज होकर मुख्तार चले

 

अब सदमे सहने की ताकत नहीं हममें
गमे-फ़ुरकत2 में हमारा दिल हार चले

 

तेरी मिजह3 से छनकर मिला था जो
शराब,पीकर उसे जिंदगी गुजार चले

 

सुना था प्यार में कोई शर्त नहीं होती
हम तेरे शर्तों पर, होकर शर्मसार चले

 

 

1.जीवन बंधन 2.जुदाई का गम 3.आँख

 

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