तुम बिन जीना चाहा, जी भी न सका
मरना चाहा तो मर भी न सका
ऐसे नज़रों को क्या कहें, जिसका साथ
हर पल मिला, उसे पहचान भी न सका
जमाना बुरा या मैं बुरा, कौन भला
कौन बुरा, खुद को समझा भी न सका
जो मिली, उससे मोहब्बत कर न सका
जिसे चाहा, उसे बता भी न सका
हर एक अज़नबी से उसका पता पूछा
अपने घर का पता किसी को दे भी न सका
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