तुम छोड़ आये जहाँ, वो मेरी मंजिल नहीं है
उसकी तबीयत आम है, जौहरे काबिल नहीं है
लोग वहाँ आये बैठे, उठकर चले गये, मैं
ढूँढता जिस महफ़िल को, वो यह महफ़िल नहीं है
ता उम्र जिसकी यादों को सीने से लगाये रखा अब
जाकर जाना,वह मेरे बहरे-मुहब्बत1की साहिल नहीं है
कहती तेरे जैसा आशिक-बाजारे2 आलम में बहुत है
लुटा दे जो जान मुहब्बत में, वो तेरा दिल नहीं है
मेरे दिल के करीब है तू, मगर मैंने सजाया जिस
दिल संग मिलके ख्वाब अपना, वो तेरा दिल नहीं है
1.सागर सा गहरा प्यार 2.संसार का बाजार
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY