तुम संग बीते लम्हों की कसक मेरे साथ है
न जिक्र करो वादे की, मुझे अपना वादा याद है
ऐसा नहीं कि मैं कयामत को भूल गई,पर
शबे-फ़ुरकत1का दिन कयामत से ज्यादा याद है
बेखुदी में पाँव उठा , ले आया मुझे यहाँ
पूछा,जो कहा,कुएं-यार2में रहने का तरीका याद है
गमे दिल रोता है बहुत, होकर तुम से जुदा
पर इतना भी नहीं,कि लोग पूछे क्या बात है
ख़ुदा के लिए मेरी बर्बादी पर,तुम न ताज्जुब
करो, तुम जिसे बर्बाद करो वही तो बर्बाद है
1. विछोह की रात 2.प्रिय की गली
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