Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुम्हारे नाम से सँवरना

 

तुम्हारे नाम से सँवरना,अच्छा लगता है

तुम्हारी यादों में जलना,अच्छा लगता है

 

तुम मेरे पास रहो  रहो,तुम्हारी तसवीर

से   लगकर रोना  अच्छा  लगता  है

 

कौन  यहाँ  आया  है  जीने  के  लिए

घूँट घूँटकर मरना  अच्छा  लगता  है

 

गुलाब गुलशन में महके ,या मेरे छत पर

मुझे तो उसका महकना अच्छा लगता है

 

यादों की घाटी मेंतुम्हारी स्मृति के पीछे

तितली बन  उड़ते रहना अच्छा लगता है

 

तकिये पर लिख नाम तुम्हारा,आँसू बहाकर

मिटाना ,मिटाकर लिखना अच्छा लगता है

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