तुम्हारी हर बात का एतवार किया मैंने
दिल नहीं,जुल्फ़ों को गिरफ़्तार किया मैंने
रंग भरी आँखों को गुल महताब बताकर
व्यर्थ ही अंगारे को शर्मसार किया मैंने
खुदा जाने, जान बेचकर, दिल के इस
सौदे में क्या इख्तियार किया मैने
अब मिलता नहीं चैन,भटकता हूँ दिन-रैन
जीने का अच्छा रोजगार किया मैंने
आवाज तुम्हारे चमन की दीवार तक पहुँच
न सकी,व्यर्थ ही दिल गुलजार किया मैंने
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