तुम्हारी राह तकते बीत गया जमाना
तुम तो आये नहीं , आया तुम्हारा बहाना
कहते हो, मुझको भूल जाओ, कितना आसान है
कहना , पर कितना मुश्किल है भूल जाना
इंतजारे-मय-ओ सागर सदा नहीं रहता साकी
पलटकर कभी नहीं आता ,शबाब1 का जमाना
हम भी हुस्न की दुनिया का दरवेश2 हैं, हमें भी
आता है इश्क की माँग पर,अपना दिल जलाना
दुख होता है, कर याद जिस साज से हरारत3 था
हमें, महफ़िल में तुम्हारा उसी साज को बजाना
इतनी बेगानगी भी अच्छी नहीं,जिंदगी की राह पर
कुछ दूर साथ चलकर ,फ़िर लौट तुम्हारा जाना
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