तुम्हें मैं कौन सा,जख्म दिखाऊँ
कहाँ - कहाँ तुमको ,मैं ले जाऊँ
तुमने जहाँ जहर दिये
मैंने उसे हँस - हँस कर पीये
क्या उस जगह , ले जाऊँ
तुम्हें मैं कौन सा,जख्म दिखाऊँ
दिल जले , राख हुए
न धुआँ उठे, न ख़ाक उड़ी
ये कैसी चिता, तुमने सजाई
न फूल सजे, न बजी शहनाई
क्या- क्या तुम्हें और दिखाऊँ
कौन सा सफ़र ले जाऊँ
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