तुम जिसे बरबाद करो, वह कैसे नहीं बरबाद होगा
तरसा के मये-नाब1 पिलाना, शायद तुमको याद होगा
कौन उठ सका बागे जहाँ में ,तुम्हारी निगाहे-नाज की
खाकर चोट,जो खड़ा होकर तुमसे कुछ फ़रियाद करेगा
तुम्हारी हया के तवस्सुम के ,अगमाज2 का मजा
लेने वाला ,जमाने से शिकायत तुम्हारे बाद करेगा
जब भी लहरायेगी उसके ख्यालों में वीरानी
तेरे कूचे में खोये अपने दिल को याद करेगा
जमीं पर पाँव रखकर आसमां पर चलनेवाली
अभी नहीं, तेरा पाँव मेहंदी से खफ़ा मेरे बाद होगा
- आँखों की शराब 2. इशारा
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