Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुमको जवां रात न कहूँ,तो और क्या कहूँ

 

तुमको  जवां रात  कहूँ,तो और क्या कहूँ

हूर  को हूर  कहूँ तो और  क्या कहूँ


तुम्हारी  ये  आँखें  बड़ी कातिल  हैं सनम

इन्हें  कातिल   कहूँतो और  क्या कहूँ


हजारों दीये आरजुओं के एक संग बुझ गये

उसे  बेरहम   कहूँ तो और  क्या कहूँ


जन्नते  तसवीर हो  तुममेरे  ख़्वाब की

तुमको  ख़ुदा  कहूँतो  और क्या  कहूँ


अपनी दुआओं का असर देख ली मैंने, उस

बेवफ़ा को बेवफ़ा  कहूँतो और क्या कहूँ

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