Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तुमको क्या गरज, कि उस बेअदब को

 

तुमको  क्या  गरज, कि  उस  बेअदब को

गुनाहे-इश्क1 की सजा, मिली तो क्या मिली


सहरा2  का  तुफ़ां  मिला , या  धुला—धुला

फ़लक ,  या   धुआँ - धुआँ  जमीं  मिली


मिटके  भी  हसरते कातिल  में रहा, उसके 

जख्मों   को  दुआ  मिली, या दवा  मिली


जिंदगी  उसकी  खाक  हुई  या आबाद हुई

जहाँ  में  उसे  अमां3 मिली तो कहाँ मिली


जिसने रूह को आसमां में उड़ने की ताकत दी

उस  मसीहा  के  होने  की खबर क्या मिली




  1. प्यार की सजा 2. मरुभूमि 3. पनाह

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ