तुमको मुझसे प्यार है, यह हकीकत नहीं
तुम मेरा रहनुमा हो सकती हो ,मुहब्बत नहीं
दूर से कई चेहरोंमें तुमदीखे , मगर
करीब से देखा तो,किसी में तुम सा रानायत नहीं
बेवफाई का चलन चला है आजकल
इसलिए तुमसे मेरी कोई शिकायत नहीं
तुम जब भी मिले, खफा होकर मिले
यह मिलन कैसा, जहाँ मिली, तबियत नहीं
बदनसीबी ने मुझे कभी रोने से फुर्सतन दिया
तुम हो कि देते हँसने की मोहलत नहीं
तुमको दिल जख्म क्या-क्या दिखलाती
तुमसे छुपी मेरी कोई हिलायत नहीं
खुद को तनहा जीऊँ, इच्छा तो बहुत है
मगर आती कोई मुसीबत नहीं
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