तुमको अपने दिल में हम बिठा नहीं सकते
तारे को जमीं पर हम सजा नहीं सकते
जुबांबंदी का यह कानून बड़ा निराला है
सरे आम महफ़िल को हम बता नहीं सकते
कहीं अश्कों से खुल जाये न दर्द की गाँठ
अपनी आँखों से अश्क हम बहा नहीं सकते
तुमसे अलग गुलाब की खुशबू होती क्या
क्यों लोग उसे चाहते, हम बता नहीं सकते
आँधी में बिखरे फ़ूलों को गूँथकर ,बासी
फ़ूलों की माला,तुमको हम पहना नहीं सकते
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