उनके दिये जख्म सभी, जब मुस्कुराने लगे
तब वे दूर-दूर तक हम को, नजर आने लगे
निगाहें- शौक सरे- बज्म1 बेपर्दा हुआ
जुल्मते-आश2 मेरी ओर कदम बढ़ाने लगे
पता नहीं, इश्क में थी क्या ऐसी बात
जिसे भुलाने में, हमको जमाने लगे
खुशबू से महकाकर कफ़न भेजा हमारे लिए
जब नसीबा हारा, तब गैर से उठवाने लगे
राहे-जिंदगी काट चुके ,अब जमाने की हवा
जिधर ले जाये, हमारे पाँव लड़खड़ाने लगे
जान से मारा जहाँ भी उसने हमको तन्हा पाया
वक्त यह सोचा, हम हिज्र3 से घबड़ाने लगे
1.पूरी दुनिया में 2.निराशा का अंधेरा 3.परछाईं
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY