क्यों करते नहीं कोई बात, मुझ दिल - बीमार से
कहते, कटते हैं लोग यहाँ फ़ूलों के भी धार से
जब तक ऊँची न हो , ज़मीर की लौ, तब तक
होते नहीं प्राण रौशन, आँखों के दीदार से
अखड़ियों में जल रहा, उसके जुल्मों, अव्वली का
चराग,लौ शोला न बन जाये,उसकी सूरते तकरार से
मोहब्बत की राह में कैसी- कैसी मुसीबतें हैं आती
न चाहकर भी दिल-ए-हाल बताना होता यार से
जुनूं दिला जाता रह- रहकर उसकी याद
तालए- बेदार हार जाता, दिल -ए -बेकरार से
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