Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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यार ने कुछ इस अदा से पूछा मेरा मिजाज

 

यार  ने  कुछ  इस  अदा  से  पूछा  मेरा  मिजाज

राहे–शौक1 खमहो गई, गेसुएँ दिलदार की तरह आज


आँखों  से  जिगर  खूँ  होके टपक  पड़ा, उसने कहा

रहने  भी  दो यह  सब  अभी, हमें और भी है काज


जिसके साये को मैं शबिस्ताँ3समझता रहा,भरी बज्म में 

आपने आशिक को ता्ड़ने का, उसका यह कैसा अंदाज


इज्जत और जिल्लत,दोनों हैं खुदा के हाथ,नादां है जो

कोहसार4 से टकराकर सर अपना, उठाता उसका नाज


गमे-दिल  की  रोशनी  बहुत  है, जरूरत  नहीं, मेरे 

सरे-मदफ़न5 अश्के-आतिशी6, जलाकर खोले कोई राज


जिसे  नहीं  सरे-रिश्ता-ए-वफ़ा का ख्याल, उसके दावे 

पर कोई हुज्जत न हो,सितमगर का यह कैसा इलाज


रखती है कदम मेरी आँखों से दरेगकर7,लगता बेवफ़ा

अपने  सीने  में  छुपा  रखी  है  कोई गहरा  राज


1.प्रेम-पथ 2 टेढ़ी 3. शयन-गृह 4.पहाड़ 5.कब्र के 

 किनारे 6. गर्म आँसू का मशाल 7.छुपकर


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