यह जुबां चुप रह नहीं सकती
नदी रेत की बह नहीं सकती
दिल की दीवारों में दरारें तो हैं
मगर आँधियों में ढ़ह नहीं सकती
देखिये वहाँ बहुत अंधेरा है मगर
आगे क्या है कुछ कह नहीं सकती
सूरज का काम है आग बरसाना
भले चाँदनी उसे सह नहीं सकती
तुम्हारी मैकशी पी तो ली मैं, मगर
इसमें कितना है नशा,कह नहीं सकती
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