Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तुम अपनी कोई कहानी मेरे नाम कर दो

 
तुम  अपनी  कोई  कहानी मेरे नाम कर दो
बीती  जा  रही  जवानी  मेरे  नाम कर दो

मुहब्बत  में  सब  कुछ  जायज  है  होता
तुम  अपनी  कोई निशानी मेरे नाम कर दो

ढूँढ़्ते- ढूँढ़ते  ढूँढ़  लेंगे  तुमको  ऐ  बेनिशां
तुम  अपनी  परेशानी  मेरे  नाम  कर  दो

दरिया  की  तरह  बहती  जा  रही  अपनी
जवानी  के  दो  बूँद पानी मेरे नाम कर दो

निकलते  ही  दम, उठ  जायेंगे जहाँ से हम
तुम अपनी कोई गजनिहानी मेरे नाम कर दो
 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ