आप यूँ न मुँह मोड़िये
प्यार में कुछ तो करिये
कभी सूरज, कभी तारे, कभी
चाँद को आकाश से उतारिये
चार दिन का है महजला
इस रात से यूँ न कतराइये
ऐसे ही बदनाम है इश्क
दुनिया में, और न कराइये
जिंदगी है एक ख़्वाब, ख़्वाब
से न प्यार कर,यूँ न दोहराइये
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