Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आप यूँ न मुँह मोड़िये

 

आप यूँ न मुँह मोड़िये
प्यार में कुछ तो करिये

 

कभी सूरज, कभी तारे, कभी
चाँद को आकाश से उतारिये

 

चार दिन का है महजला
इस रात से यूँ न कतराइये

 

ऐसे ही बदनाम है इश्क
दुनिया में, और न कराइये

 

जिंदगी है एक ख़्वाब, ख़्वाब
से न प्यार कर,यूँ न दोहराइये

 

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