अपने इश्क का इम्तिहां चाहता हूँ
दरम्यां एक जहाँ चाहता हूँ
है आशिकी में रश्म अलग बैठने का
दिले - नाज़का कहकशां चाहता हूँ
जमीं से फ़लक तक है इन्तजार आलम
वादे की रात है एक, मेहरबां चाहता हूँ
नामो - नमूदकर होने दो मुझको
मैं हस्ती – ए - बेनिशां चाहताहूँ
छोड़ रंजो – महन की बातें, डूब रहीं
अखड़ियों में एक आसमां चाहता हूँ
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