हम नहीं करना चाहते याद, कि तुम जिंदगी
के सफ़र में, हम कब और कहाँ मिले
हम तो बस इतना चाहते, मुद्दत से बेसदा
पड़ा है जो दर्द मेरे सीने में, उसे जुबां मिले
सबकी होती अपनी-अपनी किस्मत, किसी के
टूटा तारा , किसी को दौलते जहाँ मिले
अब नजरें टिकी रहतीं उस सागर की ओर,जहाँ
तुमने मुझे छोड़ा,और हमारी किश्ती को तूफ़ां मिले
नौजवानी की, पीरी1 में तमन्ना नहीं, एक हसरत
है कि दुनिया को मेरे नाम से मेरा निशां मिले
- बुढ़ापा
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