इस उजड़े गुलशन को जिसने आबाद किया था
कहते हैं लोग, उसी ने बर्बाद किया है
गरेबां की आग जब बुझी, दामन में लगाया
काम जो दुश्मन न किया, दोस्त जल्लाद किया है
जमाने की दरिया में सितम के मौजों से इसे कोई
बचा न सका, वक्त की बेरुखी ने बर्बाद किया है
इस बात का गवाह गुंचे1हैं,बरो-बर्ग2और शजर3 भी
कत्ल होकर, भी इसने न इरशाद4 किया है
जो गुजरे हैं दिले ज़ख्मी पर,जमाने से क्या बताएँ
वे सदा रहे बे-महर5,मेहरबानी तो बाद किया है
1.फ़ूल 2. पत्ती 3. वृक्ष 4.शिकायत 5.निर्दयी
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