Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जैसे गुजरा वह, हम भी गुजर जायेंगे

 

जैसे गुजरा वह,  हम भी गुजर जायेंगे

हम मुसाफ़िर हैं, मसरूफ़े सफ़र जायेंगे


अपना सागर–सा भरा दिल छलकाकर

अपना नाम, तुम्हारे  नाम कर जायेंगे


ज्यों  चीरती  फ़ज़ा  को  राग   कोई

तुम्हारी नज़रों से दिल में उतर जायेंगे


कोई फ़र्क नहीं होता ,मोहब्बत में,जीने

और मरने का, बताने उसके दर जायेंगे


जिंदगी  है  एक  ख़्वाब , ख़्वाब   के

टूटने  से  पहले, हम   सँवर  जायेंगे

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