कह दो बहुत उड़ चुके वे आसमान पर
हम भी निकलने ही वाले हैं, उड़ान पर
सीने पर चोट खाने की हमारी फ़ितरत है
हम नहीं छुपनेवाले हैं मचानपर
देश की सत्ता क्या आई , उसकी हाथों में
जूते उतारने लगे सोने के पायदान पर
देश का मसीहा घूम रहा तलवार लेकर
शरीफ़ लगा रहेहैं बाजी म्यानपर
सच ही कहते लोग,छिछला जल का बहाव
होता बड़ा तेज, ठहरता नहींढलान पर
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY